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जन नायक

हे जन नायक !
सच बताना 
यदि तुम्हीं हो गण नायक,
तो वो कौन है
जो खंभों वाली विशाल इमारत से 
बाहर आ आकर
दहाड़ता है
चिंघाड़ता है
खिसियाता है 
रिरियाता है
फुँफकारता है
पुचकारता है
कि वही है असली भाग्य विधाता ?
सच बताना
हे गणपति !
तुमने तो हर-गौरी का चक्कर लगाया था
कि वही है ब्रंह्मांड का व्यास
लेकिन आज एक वृद्धाश्रम के सामने
सजे-धजे पंडाल में तुम्हारा वास
सुहाता है तुम्हें ?
तुम्हें तो सुहाता है
हे लंबोदर
मोदक का भोग !
सच बताना 
उस खोवे में मिलावट तो नहीं
वैसे मिलावट का रोग 
कहाँ नहीं है
मेरी भक्ति में भी 
है काव्य की मिलावट
या काव्य में भक्ति की !
नहीं जानता
यदि तुम्हें पता हो तो बताना
हे बुद्धिनाथ
विसंगति से भरे विश्व में
तुम्हारे उत्सव का आनंद हो ?
या तुम्हारे उत्सव के आनंद से
हर विसंगति का नाश हो !!!
हे गजानन ! 
सच बताना
तुम तो सर्वव्यापी हो !
फेसबुक पर भी हो क्या ?
नहीं हो तो लिखना क्या !
मिटाना क्या !
और अगर हो
तो कमेंट तो करो
गणपति बप्पा मोरया !!

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