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बंदूक



अगर तुम्हारे हाथों में बंदूक दे दूँ

चला लोगे ?

दूर से पास आते हुए दुश्मन की छाती पर ?

मेरे दोस्त !

ये हक़ीक़त है !

रुपहले पर्दे पर चल रही कोई फिल्म नहीं !

बंदूक से जब गोली निकलती है तब,

कंधों पर लगता है ज़ोर का झटका,

ऊँगलियों में आ सकती है मोच,

धमाके की आवाज़ कानों को सुन्न कर सकती है,

आँखों में भर सकता है बारूद का धुँआ,

बंदूक ऊपर की ओर उठकर

घायल कर सकती है किसी शांति-दूत को !

और जब इन सब से सम्हल कर

तुम वापस बंदूक तानोगे

दुश्मन खड़ा होगा सामने

और सामने

बिल्कुल पास !

अच्छा होगा बंदूक माँगने से पहले

तैयार करो अपनी ऊँगलियों को

मज़बूत करो अपने कंधों को

तीक्ष्ण करो अपनी समस्त इंद्रियों को

उस धमाके के लिए !

यक़ीन मानो

उसके बाद ज़रूरत ही ना रहेगी

किसी बंदूक की

शायद !


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