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अंदर - बाहर का फ़र्क



एक साथ क़ैद थे हम

सींखचों के भीतर ।

मैंने कोशिश की थी

या फिर मर्ज़ी चौकीदार की,

आज मैं बाहर हूँ ।

खुली हवा हैआज़ाद मिट्टी ।

पर तुमने एक बार भी न कहा

चौकीदार से कह कर ताला खुलवा दो

या बाहर निकलने का तरीका ही बता दो

या इतना ही बता दो कि

बाहर ....कैसा लगता है !

तुम तो

जलकुढ़ रहे हो भीतर ही भीतर

मुझे फिर से अंदर लाना चाहते हो

इसीलिये तो क़ैदी जीवन के


फायदे बताते हो !


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