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आँखों में तिनका

मेरी आँखों में
एक तिनका चुभ गया-
ऐसा लगा था तुम्हें

तुम फूँक मारती रही
आँचल का तिकोना बना
सहलाती रही आँख के अंदरूनी कोने में 

और मैं बहाने से
तुम्हारी खुशबू से तर होता रहा

आज भी आओ ना,
उस सपने का टुकड़ा 
सच में चुभ रहा है,
वो सपना जो पूरा का पूरा
अपने आँचल के कोने में गिरह लगा कर 
बाँध कर ले गई थी



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