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ख़्वाहिश


प्यार तुम मुझे इतना करना,

कि जब मेरी देह मौजूद न हो,

आस-पास....

बहुत दूर तक...

जब मेरी साँसें तुम्हें

कुछ कह न पाएँ,

उस दिन...

जब कभी गुज़रना

भीड़ भरे रास्तों से

किसी आदीवासी क़बीले के मेले से

किसी पहाडी मोड़ से

और दिख जाए कोई

बच्चा मुस्कुराता,

जिसे मुस्कुराने के अलावा

कुछ न आता हो,

याद कर लेना मुझे

जो आने वाले दिनों को

लबालब देखना चाहता था,

वैसी ही

मासूम मुस्कराहट से



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