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ज़िंदगी



भगाती है....
मैं भागता हूँ |
नचाती है....
मैं नाचता हूँ |
डराती है....
सहमा रहता हूँ
रुलाती है ....
रुलाती है....दिल को दुखाती है |
मगर
कहानी अपनी तुमको क्या सुनाएँ
एक बूँद भी ना कभी आँसू बहाए
मैं बढ़ता जाता हूँ
मैं जीता जाता हूँ
जिसे कहते हैं
लोग .... ज़िंदगी !
ज़िंदगी ...
ज़िंदगी ... |



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