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दुआ
ये कोई बद्दुआ नहीं
इसकी तहों में छिपी
दुआ को समझना
"जैसा मेरे साथ किया ईश्वर
वैसा सब के साथ करना"
पीड़ा देने के लिए,
यातना देने के लिए नहीं |
उस सुखद अनुभव के लिए
जिसे पाने के बाद
साफ़ साफ़ दीखता है
'अपनों' का रंग बदलना |
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जुलाई, 2011
राकेश कुमार त्रिपाठी
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