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बैलेंस शीट



नंदू रिक्शावाला
जाड़े-बरसात में रिक्शा खींचकर
कई इच्छाओं का गला घोंटकर
पढ़ाता है अपने बेटे को
इंग्लिश मीडियम वाले सस्ते स्कूल में |
'एन एपल ए डे, कीप्स योर डॉक्टर अवे'
बच्चे ने खूब पढ़ा |
पढ़ा नंदू ने भी
अगले ही दिन
रिक्शे पर सवार बाबू से |
और सोचा एक महीने तक
डेढ़ सौ रुपये किलो के हिसाब से
डेढ़ सौ ग्राम का एक एपल
बाईस रुपये रोज़ का खर्च कर
रोज़ खिलाऊँगा बच्चे को
महीने का ............. छे सौ छियासठ रूपये !!!
अगले ही दिन बच्चा बीमार पड़ा |
रिक्शे पर सवार होने वाले बाबू ने
डॉक्टर का पता बताया |
डॉक्टर की फीस दो सौ,
खून की जाँच डेढ़ सौ,
दवाइयाँ तीन सौ सोलह की
कुल ....... छे सौ छियासठ !!!
अगली बार बीमार बच्चे को
बीवी लेकर गयी ओझे के पास
ग्यारह का चढ़ावा,
नंदू पीकर आया चालीस का पव्वा
पंद्रह का चखना |
कुल खर्च ... छियासठ !!!
बचत छे सौ की !!!
अगले दिन रिक्शे पर
सवार होने वाले बाबू ने
छे सौ रुपयों से
बैंक का खुलवा दिया खाता |
अब नंदू का बच्चा
एपल कभी नहीं खाता | 


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जुलाई, 2011
                                         राकेश कुमार त्रिपाठी



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