अपने दोस्त से कहा
बंटी ने उस दिन -
जानता है,
मेरे पापा झूठे हैं !
बहुत झूठ बोलते हैं !
पढ़ा रहे थे परसों,
सूरज उगता है पूरब में !
डूबता है वो पश्चिम में !
पर मैं रोज़ देखता हूँ,
वो जो वर्मा अंकल का
फ़्लैट है न,
उस ऊँचे अपार्टमेन्ट में ?
सूरज तो वहाँ से निकलता है
और शाम को छिप जाता है
उस फैक्ट्री की चिमनी के पीछे !!
समझ में नहीं आता,
पापा झूठ क्यों बोलते हैं ?
बंटी ने उस दिन -
जानता है,
मेरे पापा झूठे हैं !
बहुत झूठ बोलते हैं !
पढ़ा रहे थे परसों,
सूरज उगता है पूरब में !
डूबता है वो पश्चिम में !
पर मैं रोज़ देखता हूँ,
वो जो वर्मा अंकल का
फ़्लैट है न,
उस ऊँचे अपार्टमेन्ट में ?
सूरज तो वहाँ से निकलता है
और शाम को छिप जाता है
उस फैक्ट्री की चिमनी के पीछे !!
समझ में नहीं आता,
पापा झूठ क्यों बोलते हैं ?
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नवम्बर,1995
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