मैं उसे चाह नहीं पाता,
उसे सराह नहीं पाता,
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता ....
जबकि किसी महबूब की तरह
वो रहती है कहीं आस-पास
हमेशा साथ
जैसे कोई हमसाया हो,
हमराही हो, भूला हुआ कोई साथी हो !
पर भूलने से पहले ही,
रूप बदल, नया चोला पहन
हाज़िर हो जाती है - तब,
जब उसके आने की उम्मीद भी नहीं होती,
मगर फिर भी, मैं
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता |
हालाँकि जब वो आती है,
मैं ही क्या ....
ज़माने में हर तरफ
उसी का चर्चा होता है |
वही होती है ... नुक्कड़ की चाय में,
बस की क़तार में,
रेल के डब्बों में,
ऑफिस की कैंटीन में,
चैटिंग में, स्टेटस अपडेटिंग में !
हर तरफ, बग़ैर उसके
कुछ भी मुकम्मल नहीं,
मैं भी नहीं !
मगर फिर भी, मैं
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता |
हालाँकि उसके आने से
जी करता है .....
दूसरे कमरों की बत्तियाँ बुझा कर ..
एक मद्धिम रोशनी वाले कमरे में
बैठे रहें .......
उसके आने से
छोटी - मोटी बीमारियाँ
अपने आप या
दादी - नानी के टोटकों से अच्छी हो जाती हैं,
डॉक्टरों के पास जाना
ज़रूरी नहीं रह जाता |
ज़रूरी नहीं रह जाता
पर्ची पर लिखी पूरी दवाइयाँ खरीदना |
खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं ... हज़ारों - लाखों |
उसके आने से
कारण - अकारण
कितनों को देखा है मैंने
धुआँ उड़ाती गाड़ियों से परहेज़ करते,
देखा है उन्हें पैदल चलते
किसी रूमानी ख़याल में गुम |
उसके आने से
पिता अपने दोस्तों की गप - शप को भूल
जल्दी लौटता है घर को
ताकि बच्चे को बाहर
ट्यूशन पे न जाना पड़े
और वो ख़ुद उनके मुश्किल सवालों से
उलझता है
बच्चों को अपने बचपन की कहानियाँ सुनाता है,
इस कोशिश में कि
अपने सवालों की उलझन से बच सके |
उसके आने से
सिनेमा के परदे से ज़्यादा ख़ूबसूरत लगता है
बीवी का हुस्न,
उसके साथ बैठकर नापसंद के सीरियल देखना |
तुम्हारे आने से
कुछ दिनों तक
बस तुम होती हो
तुम्हारी बात होती है
तुम्हारा असर होता है
हर जगह
मगर फिर भी, मैं
तुम्हें बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता
बल्कि चाहता हूँ
तुम फिर कभी न आओ
पर तुम हो कि बिन बताये
ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर
आ ही जाती हो ......
करमजली ...
जनमजली ...
महँगाई !!!
उसे सराह नहीं पाता,
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता ....
जबकि किसी महबूब की तरह
वो रहती है कहीं आस-पास
हमेशा साथ
जैसे कोई हमसाया हो,
हमराही हो, भूला हुआ कोई साथी हो !
पर भूलने से पहले ही,
रूप बदल, नया चोला पहन
हाज़िर हो जाती है - तब,
जब उसके आने की उम्मीद भी नहीं होती,
मगर फिर भी, मैं
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता |
हालाँकि जब वो आती है,
मैं ही क्या ....
ज़माने में हर तरफ
उसी का चर्चा होता है |
वही होती है ... नुक्कड़ की चाय में,
बस की क़तार में,
रेल के डब्बों में,
ऑफिस की कैंटीन में,
चैटिंग में, स्टेटस अपडेटिंग में !
हर तरफ, बग़ैर उसके
कुछ भी मुकम्मल नहीं,
मैं भी नहीं !
मगर फिर भी, मैं
उसे बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता |
हालाँकि उसके आने से
जी करता है .....
दूसरे कमरों की बत्तियाँ बुझा कर ..
एक मद्धिम रोशनी वाले कमरे में
बैठे रहें .......
उसके आने से
छोटी - मोटी बीमारियाँ
अपने आप या
दादी - नानी के टोटकों से अच्छी हो जाती हैं,
डॉक्टरों के पास जाना
ज़रूरी नहीं रह जाता |
ज़रूरी नहीं रह जाता
पर्ची पर लिखी पूरी दवाइयाँ खरीदना |
खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं ... हज़ारों - लाखों |
उसके आने से
कारण - अकारण
कितनों को देखा है मैंने
धुआँ उड़ाती गाड़ियों से परहेज़ करते,
देखा है उन्हें पैदल चलते
किसी रूमानी ख़याल में गुम |
उसके आने से
पिता अपने दोस्तों की गप - शप को भूल
जल्दी लौटता है घर को
ताकि बच्चे को बाहर
ट्यूशन पे न जाना पड़े
और वो ख़ुद उनके मुश्किल सवालों से
उलझता है
बच्चों को अपने बचपन की कहानियाँ सुनाता है,
इस कोशिश में कि
अपने सवालों की उलझन से बच सके |
उसके आने से
सिनेमा के परदे से ज़्यादा ख़ूबसूरत लगता है
बीवी का हुस्न,
उसके साथ बैठकर नापसंद के सीरियल देखना |
तुम्हारे आने से
कुछ दिनों तक
बस तुम होती हो
तुम्हारी बात होती है
तुम्हारा असर होता है
हर जगह
मगर फिर भी, मैं
तुम्हें बिलकुल भी प्यार नहीं कर पाता
बल्कि चाहता हूँ
तुम फिर कभी न आओ
पर तुम हो कि बिन बताये
ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर
आ ही जाती हो ......
करमजली ...
जनमजली ...
महँगाई !!!
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जुलाई, 2011
राकेश कुमार त्रिपाठी
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